रावत बाघसिंह का स्मारक
पाडन- पोल में प्रवेश करने के पूर्व ही उसके बाँयी ओर रावत बाघसिंह का स्मारक (चबूतरा) है। देवलिया प्रतापगढ़ के सामन्त रावत बाघसिंह महाराणा मोकल के प्रपीत्र थे तथा 1534 ई. में गुजरात के बहादुरशाह द्वारा आक्रमण करने पर उन्होंने महाराणा विक्रमादित्य का प्रतिनिधित्व किया तथा लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उन्हीं की स्मृति में यह स्मारक बना हुआ है।
पाडन-पोल के पश्चात् दुर्ग का द्वितीय प्रवेश द्वार भैरों पोल आता है। यहाँ देसूरी के सोलंकी भैरोदास गुजरात के सुलतान बहादुरशाह से युद्ध करते हुए मारे गये थे। मूल प्रवेश द्वार के टूट जाने पर उदयपुर के महाराणा फतहसिंह ने इसका नवनिर्माण करवाया।
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